
ज़िन्दगी में खामोशियाँ ही बेहतर है, अक्सर शब्दों से लोग रूठते बहुत !!

धड़कनों में बसते हैं कुछ लोग, जुबाँ से नाम लेने की ज़रूरत नहीं

कैसे मान लू मज़बूरी थी, लहंगा तोह उसकी ही पसंद का था

लहज़ा शिकायत का था.. लेकिन, पूरी महफ़िल समझ गई मामला मोहब्बत का है !!

तुम्हारी फ़िक्र हैं शक़ नहीं..
तुम्हे कोई और देखे ये किसी को हक़ नहीं

क़िस्मत में ही नहीं था तेरा साथ, बरना मांगा तो मैंने तुम्हे हर मंदिर मस्ज़िद गुरद्वारे मैं था

क्यों न करू गुरूर मैं अपने आप पे… मुझे जिसने चाहा जिसके चाहने वाले हज़ार है