
आजकल,
अकेले रहने में ही sukoon हैं।

अब पहचानों गे भी कैसे, तुम्हारा मतलब जो पूरा हो गया..

रिश्ता कुछ ऐसा है, है, ना पहले जैसा !

इश्क़ में उजड़ा तो ऐसे जीने लगा, चाय का शौक़ीन अब शराब पीने लगा..!!

जो पास था वो सब कुछ खो चुका हूं, सबका भला करके बुरा बन चुका हूं मैं

उस उम्र में आ चुका हूँ,
जहां घर से कुछ मांगने का मन करता नहीं, और दे कुछ सकते नहीं..

मेरे कुछ सवाल है जो कयामत के रोज पूछूंगा तुमसे, क्यों की उसके पहले तुम्हारी और मेरी हो सके इस लायक नहीं हो तुम…