
एक शख्स से बातें क्या बंद हुई, हम खामोश ही रहने लगे..!!

जान कर भी झूठे वादें मत किया करो वहाँ, जहाँ निभाने की उम्मीद सिर्फ तुमसे ही की गई हो

शरीफों की शराफ़त देखकर, हम अपने बुरे होने पर gurur करते हैं…

नाराज़ वहाँ हुआ करो जहा किसी को.. तुम्हारी नाराज़गी की फ़िकर हो

लहज़े बयां कर देते है लोगो के, परवरिश हुई है या सिर्फ पाले गए हो..

जिनके बिना दिन नहीं गुज़रता था उनके बिना साल गुज़र गया वो भी खुशी खुशी…

इतना भागा था एक शख्स पीछे, के पैरों से ज्यादा दिल थक गया