
चलो अब जाने भी दो, क्या करोगे दास्तां सुनकर… खामोशी तुम समझोगे नहीं और बयां हमसे होगा नहीं !!

तारीफों के पुल के नीचे, नफरतों की नदियां बहती हैं

हम इतने भी खुश नहीं रहते, जितने नजर आते हैं…

लोग जिस्मों के पीछे भागते है,
मैं सालों से रुका हु एक दिल मे जगा बनाने के लिए

जब मन भर जाए, तो behtareen भी बेकार लगता है..!!

गलतफहमी जिससे है उसी से बात करो, दूसरों से करोगे तो बढ़ भी सकती है..

ये हुनर तो सिर्फ लड़कों के हक में आया है, महबूब से बिछड़ कर लड़कियां कहाँ पागल हुई हैं.