
बचपन सारा गुज़र गया ज़वानी के इंतजार में, जवान होते ही दिल तोड़ दिया एकतरफ़ा प्यार ने

कदर कीजिए हमारी खामोशी का,
हम आपकी औक़ात छिपाए फिरते

बिछड़ के तुझसे किसी दूसरे पे मरना है, यह तजुर्बा भी इसी जिंदगी में करना है

जिसे फिक्र नहीं तुम्हारी उस के लिए रोना कैसा, जो था ही नहीं अपना उसे खोना कैसा….!

सुलूक-ए-बेवफाई हम भी कर सकते थे, तू रोये ये हमे गवारा नही था

निभाने वाले ही तो नहीं मिलते, चाहने वाले तो हर मोड़ पर खड़े हैं..!!

सिर्फ तेरे इश्क की गुलामी में हु आज भी, वरना ये दिल एक अरसे तक नवाब रहा है