
टुकड़े पड़े थे राह में किसी हसीना की तस्वीर के, लगता है कोई दीवाना आज समझदार हो गया

हरकतें उनकी सब इश्क वाली भी, और नाम उसे दोस्ती दिया था

कुछ तो खास है जो तुझे मुझसे जोड़े रखता है, वर्ना इतना माफ तो मैंने खुद को भी नहीं किया

यह मोहब्बत का नया दौर हैं, जहाँ हम थे वहां कोई और हैं

ये नक़ाब तुम्हारे झुठ का उतरेगा जिस दिन, खुद से नज़रें मिलाने को तरसोगे उस दिन

इंसान जिंदगी में सिर्फ एक बार मोहब्बत करता है; और बाकी पहली को भुलाने के लिए करता है

किसी ने मुफ्त में वो शख्स पाया, जो हर कीमत पर मुझे चाहिए था