
रहने दो मुझे इन अंधेरों में ही कमबख्त, रौशनी में अपनों के असली चहरे सामने आ जाते है

हमारी आखरी उम्मीद हम खुद हैं, और जब तक हम है उम्मीद कायम है

इतना क्यों सिखाए जा रही हो ज़िन्दगी, हमें कौन सी सदियाँ गुज़ारनी है यहाँ..

हजारो महफीले है, लाखो मेले है, पर जहा तुम नहीं वहा हम अकेले है

ना जाने क्यों कोसते हैं लोग बदसूरती को बर्बाद करने वाले तो हसीन चेहरे ही होते हैं

रिश्ते जब मज़बूत होते हैं ना, तोह बिन कहे महसूस होते हैं

प्यार वह नहीं जो कोई कर हैं, प्यार वह है जो कोई निभा है