
शराब न पीना भी लाजमी था, क्या करे दो नशा ही उनके खुबसूरत लिबाज़ में था

कश्मकश है दिल में, ऊपर से उलझे सवाल कई.. राह जो चुन भी ले हम अगर हमे मंजिलों का पता नहीं

बहुत डर लगता है मुझे उन लोगों से, जो बातो में मिठास और दिल में जहर रखते है

अधूरी लिखी होती है कुछ मोहब्बतें, सुनो यहां सबके यार बेवफ़ा नहीं होते

नज़रों से दूर सही दिल के बहुत पास है तू बिखरी हुई इस ज़िन्दगी में मेरे जीने की आस है तू

पता नहीं क्यों लेकिन हम Ladko ने हमेशा अपने Ishq को खोया है….!

लोग दीवाने है बनावट के, हम कहां जायें यह सादगी लेकर..