
वफादार और तुम ? ख्याल अच्छा है, बेवफा और हम ? इल्जाम भी अच्छा है

आज आइना भी एक सवाल कर बैठा, किसके लिए तू अपना यह हाल कर बैठा

कोई फरक नहीं पड़ता, अब तुम बदल जाओ या भाड़ में जो

हमें पता था की तुम्हारी मोहब्बत के जाम में ज़हर है, लेकिन पिलाने में प्यार इतना था की हम ठुकरा ना सके

लड़ाई अपनी जगह और फ़िकर अपनी जगह

खास हुआ करते थे.. खाक हुए फिरते हैं..!

कहने को अल्फाज भी ना रहे, सहने को अभी उमर बाकी है