
मोहब्बत सब्र के अलावा कुछ नहीं, मैने हर इश्क़ को इंतेज़ार करतें देखा हैं

हुकूमत की थी जिसने मेरे दिल पर बी बहाने दे कर चला गया.

फ़िर एक दिन ऐसा आया कि, सुनकर उसका नाम मैंने मुस्कुराना छोड़ दिया है

जिसका नाम सुनते हीं लबों पे मुस्कान आ जाए, वह नाम हो तुम

आईना आज फ़िर से रिश्वत लेते पकड़ा गया, दिल में था दर्द और चेहरा हँसता हुआ पकड़ा गया

एक उम्र कटी दो अल्फाज़ में, एक आस में, एक काश में..!

कभी हमसे भी दो पल की मुलाकात कर लीया करो, क्या पता आज हम तरस रहे है, कल तुम ढूंढते फीरो