
वो लौट कर आया है मनाने को, शायद आज़मा चुका है जमाने को

ताबीज़ जैसे होते है कुछ लोग, बस गले लगते ही सुकून मिलता है

“सौ मिलीं जिंदगी से सौग़ातें हम को तोह आवारगी ही रास आई’

कुछ यूह मिली नज़र उनसे की बाक़ी सब नज़रअंदाज़ हो गए

तुम हसीन हो तुम्हारी फिक्र हर किसी को होगी, हम आशिक हैं अपना ख्याल खुद ही रखते हैं

शोर सी हैं ज़िन्दगी मेरी, सुकून सा है इश्क़ तेरा

जबसे ख़ुद को मिला, सुकुन मिला