
ऐसा नही था कि मेरी मर्जी नही पूछी गयी, बस मेरी खुशी से ज्यादा मुझे उनकी खुशी प्यारी थी..

साल बदला हैं, मेरा प्यार नहीं

हम तोह एक किस्सा बन के रह गए उसकी कहानी का, साथ निभाने वाला किरदार तोह किसी और के नसीब मैं था।

कभी कभी इंसान नहीं होता, कभी कभी भी होता है

मैं किस्मत का सबसे पसंदीदा खिलौना हूँ, वो रोज़ जोड़ती है मुझे फिर से तोड़ने के लिए

किसी को झूठी उम्मीद देने से अच्छा है सच बोलकर उससे दूर हो जाओ..

कुछ यूँ हुआ उस आखरी मुलाक़ात में, वो सामने खड़े थे और हम शांत…!!