
महफ़िल में गले मिलकर वो धीरे से कह गए, यह दुनिया की रसम हैं इसे मोहब्बत न समज लेना

जब उम्मीद का खिलौना टूटता है, तो दिल एक बच्चे की तरह रोता है

कौन कहता मिट जाती दूरी से मोहब्बत, मिलने वाले ख्यालों भी मिला करते है

इश्क़ का नशा होता है जिन्हें, उन्हें जिस्म की तलब नही होती

पहली मोहब्बत का एहसास हैं तू, बुझ के भी बुझना पाए वोह प्यास है तू

अब तो बेख़ौफ़ सी हैं जिंदगी, ना तेरे जाने का गम ना तेरे होने का गम

हरकतें उनकी सब इश्क़ वाली थी, और नाम उसे दोस्ती दिया था