
एक बार फिरसे मिलना हैं तुमसे, पहली बार की तरह

सफर दो कदम है जिसे लोग इश्क कहते हैं, मगर इश्क वाले सब सफर में ही रहते हैं!

साथ मेरे बैठा था पर किसी और के क़रीब था, अपना सा लगने वाला किसी और का नसीब था

नजरें सब बता देती हैं, हसरतें भी नफ़रतें भी

नजरअंदाज करने वाले तेरी कोई ख़ता ही नही, महोब्बत क्या होती है, शायद तुझको पता ही नही

गुरूर हो गया था तुम्हारी मोहब्बत का, अच्छा हुआ तुम्ही ने तोड़ दिया

रंग बदलती इस दुनिया में, मुझे बेरंग होना हैं